या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

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शारदीय नवरात्रि क्या है?
शारदीय नवरात्रि 2023 एक हिंदू त्योहार है जो हिंदू कैलेंडर में अश्विन (अक्टूबर/नवंबर) के महीने में मनाया जाता है। यह त्यौहार हिंदू देवी दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित है, जिन्हें नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार आमतौर पर नौ रातों और दस दिनों के लिए मनाया जाता है, जिसमें प्रत्येक दिन देवी के एक अलग रूप को समर्पित किया जाता है।
त्योहार का व्रत, प्रार्थना और भक्ति गीत और नृत्यों के साथ मनाया जाता है। यह भारत के कई हिस्सों में, विशेष रूप से गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। नवरात्रि मुख्य रूप से 4 प्रकार के होते हैं। 2 डायरेक्ट और 2 एक-दूसरे से जुड़े। हिंदू धर्म में अश्विन नवरात्रि का विशेष महत्व है क्योंकि इस नवरात्रि से शरद ऋतु का आगमन होता है।
शारदीय नवरात्रि कब है?
शारदीय नवरात्रि जिस दुर्गा नवरात्रि भी कहते हैं, वह 15 अक्टूबर दिन रविवार से शरद ऋतु में मनाई जाएगी और मंगलवार, 24 अक्टूबर को समाप्त होगी।
शारदीय नवरात्रि घट स्थापना शुभ मुहूर्त
कलश में कलावा बांधे. अब आप जिस स्थाप पर कलश स्थापना करने जा रहे हैं, उसे हाथ को स्पर्श करते हुए मंत्र
'ऊं भूरसि भूमिरस्यदितिरसि विश्वधाया विश्वस्य भुवनस्य धर्त्रीं, पृथिवीं यच्छ पृथिवीं दृग्वंग ह पृथिवीं मा हि ग्वंग सीः'
देवीपुराण में द्विस्वभाव लग्न में प्रात: काल में भगवती माँ दुर्गा का आहवान पूजन एवं स्थापना करने का विधान हैं। अभिजित मुहूर्त प्रातः 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 42 मिनट तक । 7 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।
शारदीय नवरात्रि पूजा विधि
शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं। इसमे देवी के नौ रूप की पूजा करके लोग माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। सबसे पहले कलश स्थापना की जाती है। उसके लिए पूजा करने के स्थान को गंगा जल से शुद्ध किया जाता है। और सभी देवताओं का आह्वान किया जाता है। उसके बाद कलश में कच्ची हल्दी गांठ, एक सुपारी, एक रुपया, थोड़ा सा गंगा जल, कुछ चावल के दाने दाल कर उसमे पांच अशोक के पत्ते दाल कर कलश को तैयार किया जाता है।उसके बाद चौकी पे लाल रंग का कपड़ा बिछाकर कर उसपर कलश रखे। कलश पर रोली से सतिया बनाएं फिर उसपर जटा नारियल रख कर कलश स्थापना करें एक मिट्टी के पत्र में थोड़ी सी मिट्टी डाल कर उस मे जौ बौय और उसकी पूजा करे। तथा मां दुर्गा की मूर्ति चौकी पे स्थापित कर उनकी विधि विधान से पूजन करे और माता को चुन्नी पहनाए तथा श्रृंगार का सामान चढ़ाए।.माता को फल, मिठाई का भोग लगाए और आरती करे।.पूजा के पहले दिन से ‘दुर्गा सप्तशती’ का पाठ करे जो पूरे नौ दिन तक सारे अध्याय पढ़े और दुर्गा चालिसा का भी पाठ करे। इस तरह माता की विधि विधान से पूजा करे और शाम को अपना व्रत खोले।
शारदीय नवरात्रि का महत्व
शारदीय नवरात्रि, जिसे “महालय नवरात्रि” के रूप में भी जाना जाता है, सभी नवरात्रियों में सबसे महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। यह अश्विन महीने के दौरान मनाया जाता है, जो मुख्यत सितंबर या अक्टूबर में पड़ता है।
त्योहार के कई अर्थ हैं और अलग-अलग चीजों का प्रतीक है। कुछ का मानना है कि यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, क्योंकि यह हिंदू देवी दुर्गा द्वारा राक्षस राजा महिषासुर की हार का जश्न मनाता है। दूसरों के लिए, यह भौतिकवाद पर आध्यात्मिकता की विजय का प्रतीक है और इसे मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करने के अवसर के रूप में देखा जाता है।
कई लोगों के लिए, नवरात्रि उपवास, प्रार्थना और भक्ति के साथ-साथ दोस्तों और परिवार के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों और उत्सवों का आनंद लेने का समय है। त्योहार दशहरा या विजयादशमी के उत्सव में समाप्त होता है, जो त्योहार के अंत और हिंदू कैलेंडर में एक नए साल की शुरुआत का प्रतीक है।
देवी के नौ रूपो के नाम
नवरात्रि एक हिंदू त्योहार है जो देवी दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा करता है, जिन्हें नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता है। देवी के नौ रूप हैं:
- शैलपुत्री – भगवान शिव की शक्ति से जुड़ी पर्वत राजा की बेटी
- ब्रह्मचारिणी – वह जो भगवान ब्रह्मा की शक्ति से जुड़ी घोर तपस्या और ध्यान करती है
- चंद्रघंटा – जिसके माथे पर अर्धचंद्र है, वह भगवान विष्णु की शक्ति से जुड़ी है
- कुष्मांडा – ब्रह्मांड के निर्माता, भगवान ब्रह्मा की शक्ति से जुड़े
- स्कंदमाता – भगवान शिव की शक्ति से जुड़ी स्कंद (कार्तिकेय) की माता
- कात्यायनी – भगवान ब्रह्मा की शक्ति से जुड़ी ऋषि कात्यायन की बेटी
- कालरात्रि – भगवान शिव की शक्ति से जुड़ी अंधेरी रात
- महागौरी – भगवान ब्रह्मा की शक्ति से जुड़ी बहुत ही सुंदर महिला
- सिद्धिदात्री – भगवान शिव की शक्ति से जुड़ी सिद्धि (अलौकिक शक्तियाँ) की दाता।
नवरात्रि में शुभ रंग
- शैलपुत्री – 15 October – Orange/नारंगी
- ब्रह्मचारिणी – 16 October – White/सफ़ेद
- चंद्रघंटा – 17 October – Red/लाल
- कुष्मांडा – 18 October – Dark Blue/गहरा नीला
- स्कंदमाता – 19 October – Yellow/पीला
- कात्यायनी – 20 October – Green/हरा
- कालरात्रि – 21 October – Gray/स्लेटी
- महागौरी – 22 October – Purple/बैंगनी
- सिद्धिदात्री – 23 October – Peacock Green/चमकीला हरा