वसंत पंचमी | Vasant Panchami

या कुन्देन्दु, तुषारहारधवला, या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा, या श्वेतपद्मासना
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभि, र्देवैः सदा पूजिता
सामां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा

वसंत पंचमी  |  Vasant Panchami
वसंत पंचमी | Vasant Panchami

हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक वर्ष माघ माहीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी के रूप में मनाते हैं। इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती प्रकट हुई थी। इसीलिये इस दिन सरस्वती मां की पूजा की विशेष विधान है। इस दिन लोग अपने पुस्तक और कलम को विद्या की देवी के चरणो में रख कर पूजा करते हैं और ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। कुछ लोग वाद्ययंत्र की भी पूजा करते हैं। अतः वसंत पंचमी को विशेष रूप से सरस्वती पूजन के रूप में भी मनया जाता है। वसंत पंचमी को पश्चिम बंगाल, गुजरात, बिहार, उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह भारत के अन्य भागों में भी मनाया जाता है, जैसे महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु।

आखिर क्यों मनाया जाता है बसंत पंचमी का त्योहार ? | Akhir kyo manai jati hai Basant Panchami?

आखिर क्यों मनाया जाता है बसंत पंचमी का त्योहार ?
आखिर क्यों मनाया जाता है बसंत पंचमी का त्योहार ?

वसंत पंचमी का हिंदू मान्यता में बहुत महत्व है। भारतीय गणना के अनुसार वर्ष भर होने वाली 6 ऋतुओं में वसंत को ऋतुओं का राजा माना जाता है। बहुत से लोग रितु को पसंद करते हैं। जब धीरे-धीरे मौसम में परिवर्तन होने लगता है, खेतो में सरसों के फूल सोने की तरह चमकने लगते हैं, जौ और गेहूं की बालियाँ खिलती हैं, आम के पेड़ो पर बोर आ जाता है, हर तरफ रंग बिरंगे फूल खिलते हैं और धीरे-धीरे हवा चलने लगती है तब वसंत ऋतु के स्वागत के लिए माघ माह की पंचमी के दिनों को बड़े उत्साह से मनIया जाता है।

वसंत पंचमी तिथि और पूजा मुहूर्त | Vasant Panchami Tithi Aur Puja Muhurat Time

पंचमी तिथि– 26 जनवरी 2023

तिथि प्रारंभ– 25 जनवरी 2023 को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से शुरू तथा 26 जनवरी 2023 को सुबह 10 बजकर 28 मिनट पर समाप्त।

पूजा मुहूर्त– 26 जनवरी 2023 को सुबह 7 बजकर 12 मिनट से 12 बजकर 34 मिनट तक.

वसंत पंचमी कैसे मनाई जाती है? / How do we celebrate Vasant Panchami?

वसंत पंचमी की सुबह स्नानादि कर मां सरस्वती की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए। इस दिन माँ सरस्वती की छवि के सामने पीले फूल, धूप, दीप, फल, पीले मीठे अर्पित करें तथा अपनी किताब-कॉपी, वही खाता आदि उनके श्री चरणो में रख कर पूजन करे।

पूर्ण श्रद्धाभाव से सरस्वती वंदना और मंत्रोच्चारण करें। सरस्वती कवच ​​का पाठ करें।
अंत में “ओम श्री सरस्वतैय नमः” का जाप करते हुए हवन करें। तत्पश्चात आरती करें।

आपके समुदाय में प्रचलित रीति-रिवाजों और परंपराओं के आधार पर, वसंत पंचमी को मनाने के कई तरीके हैं। यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे आमतौर पर त्योहार मनाया जाता है:

  • देवी सरस्वती की पूजा करना: लोग ज्ञान और ज्ञान के लिए देवी का आशीर्वाद लेने के लिए पूजा करते हैं और देवी की पूजा (अनुष्ठान पूजा) करते हैं।
  • पीला पहनना: वसंत पंचमी से जुड़ा रंग पीला है, और इस अवसर को चिह्नित करने के लिए लोग अक्सर पीले कपड़े या सामान पहनते हैं।
  • गायन और नृत्य: वसंत पंचमी लोगों के एक साथ आने और संगीत और नृत्य के माध्यम से जश्न मनाने का भी समय है।
  • मिठाइयां बांटना: त्योहार मनाने के तरीके के रूप में दोस्तों और परिवार के साथ मिठाइयों का आदान-प्रदान करना आम बात है।
  • पढ़ना और लिखना: वसंत पंचमी ज्ञान की देवी को मनाने का समय है, छात्रों को अपनी किताबें सरस्वती की मूर्ति के पास रखनी होंगी। तो, यह एक अध्ययन-मुक्त दिन है। और इस प्रकार युवा मन अपने दोस्तों के साथ पूरे दिन खेलने और घूमने के लिए स्वतंत्र हैं। छात्र इस दिन का साल भर इंतजार करते रहते हैं।
  • पतंग उड़ाना: भारत के कुछ हिस्सों में लोग वसंत पंचमी को पतंग उड़ाकर मनाते हैं, जिसे वसंत के आगमन का जश्न मनाने के एक तरीके के रूप में देखा जाता है।
  • सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेना: कई समुदाय वसंत पंचमी के अवसर को चिह्नित करने के लिए नाटकों, संगीत कार्यक्रमों और त्योहारों जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।

जानिए वसंत पंचमी का महत्व Vasant Panchami ka Mahatva

Vasant Panchami ka Mahatv
Vasant Panchami ka Mahatv

Vasant Panchami ka Mahatva वसंत पंचमी का हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्व है। इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती से बुद्धि का वरदान लेने का दिन होता है। इस दिन विधि विधान से पूजा करने पर विद्या प्राप्ति होती है। तथा नृत्य-गान और वाद्य यंत्रों का ज्ञान प्राप्त करने के लिए भी उत्तम दिन होता है।
मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न रूप में कामदेव का अवतार हुआ था। पीला रंग कामदेव के धनुष का रंग है, इसीलिये इसदिन पीला पोशाक पहनने का महत्व है।

इसदिन मां सरस्वती की पूजा के साथ साथ मां लक्ष्मी और मां काली का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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