भारत अनेक पर्व को मनाने वाला देश है। प्रत्येक राज्य की अपनी विशिष्टता और त्यौहार है। जिनमे से एक लोहड़ी भी है। ये मकर संक्रांति से पूर्व की रात्रि को सूर्यस्त के बाद मनया जाने वाला त्योहार है। लोहड़ी का त्योहार Lohri Ka Tyohar भारत के पंजाब क्षेत्र में एक लोकप्रिय शीतकालीन लोक त्योहार है। यह चंद्र कैलेंडर में जनवरी के 14वें दिन मनाया जाता है। लोहड़ी का अर्थ- ल (लकड़ी) + ओह (सुखे उपले) + ड़ी (रेबडी) है।

लोहड़ी का त्योहार
इसके कुछ दिन पहले से ही लोक-गीत गाकर, लकड़ी और उपले एकत्रित किए जाते हैं, फिर उनसे खुले स्थान पर किसी चौराहे पर आग जलाते है। इस पर्व को पंजाबी लोग बहुत जोश से मनाते हैं।
लोहड़ी का त्योहार Lohri Ka Tyohar की लोकप्रियता के कारण इसको अब भारत में ही नहीं, अपितु संपूर्ण विश्व में भी मनाया जाता है। इसे शरद ऋतु के आगमन से भी जोड़ कर देखा जाता है। इसे किसानो का नया साल भी कहा जाता है। क्योंकी लोहड़ी पारंपरिक तोर पर फसल की बुबाई और कटाई से जुड़ा एक विशेष त्योहार है।
Table of Contents:
कब है लोहड़ी? Kab hai Lohri?
Lohri लोहड़ी प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाई जाति है। और इस वर्ष मकर संक्रांति 15 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी, अत इस तरह से 14 जनवरी (शनिवार) को सूर्यस्त के बाद लोहड़ी मनाई जाएगी।
कैसे मनाई जाती है लोहड़ी? Lohri kaise manai jaati hai?
Lohri लोहड़ी बहुत ही हर्षोलास का त्योहार है। साम के समय लोहड़ी जलाई जाती है। लोहड़ी की पवित्र अग्नि में रेबड़ी, गजक, मूंगफली और तिल डालकर इसकी परिक्रमा करते हैं, और साथ में गीत तथा नृत्य कर इस त्योहार को मनाते हैं। इसकी अग्नि में रवि फसलो को अर्पित कर परिवार की सुख समृद्धि की कामना की जाती है। लोहड़ी पर बच्चे घर घर जकार लोहड़ी लेने जाते है, तो उनको रेबड़ी, गजक, मूंगफली देकर लोटाया जाता है। इस दिन लड़के आग के पास भांगड़ा तथा लड़कियां गिद्दा करती हैं। यह दिन नव-विवाहित जोड़े के लिए बड़ा खास मन जाता है, क्योंकि नव-विवाहित होदा आग में आहूति देते हुए चक्कर लगते हैं और अपने सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करते हैं।
क्यो मनाई जाती है लोहड़ी? Why do we celebrate Lohri
Lohri लोहड़ी एक ऐसा त्यौहार है जिसे सर्दियों के अंत और लंबे दिनों की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है। यह फसल के मौसम का उत्सव भी है, और लोग सूर्य देव को उनके आशीर्वाद और उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली गर्मी और प्रकाश के लिए धन्यवाद देते हैं। इसके अलावा, लोहड़ी को उर्वरता और समृद्धि के उत्सव के रूप में भी देखा जाता है, और इसलिए यह एक ऐसा समय है जब लोग अच्छे स्वास्थ्य, धन और खुशी के लिए प्रार्थना करते हैं।
पंजाब में, इस समय के दौरान काटी जाने वाली मुख्य फ़सल गन्ना है, और इसलिए लोहड़ी को एक ऐसे त्योहार के रूप में भी देखा जाता है जो किसानों की कड़ी मेहनत और श्रम का सम्मान करता है। इस दिन, लोग अलाव जलाते हैं, और अपनी कृतज्ञता और प्रशंसा के प्रतीक के रूप में मिठाई, पॉपकॉर्न और अन्य उपहार आग में चढ़ाते हैं। वे अलाव के चारों ओर पारंपरिक गीत और नृत्य भी करते हैं, और इस उत्सव को बहुत खुशी और उत्साह से चिह्नित किया जाता है।
लोहड़ी की कुछ लोकप्रिय कहानियाँ। Popular Stories
दुल्ला भट्टी की कहानी
दुल्ला भट्टी, जिन्हें अब्दुल्ला भट्टी के नाम से भी जाना जाता है, पंजाब, भारत में एक प्रसिद्ध रॉबिन हुड जैसी शख्सियत थे, जिन्हें उनकी बहादुरी और वीरता के लिए याद किया जाता है। किंवदंती के अनुसार, दुल्ला भट्टी एक धनी जमींदार था जो मुगल शासन के दौरान पंजाब क्षेत्र में रहता था। वह अपनी उदारता और दयालुता के लिए जाने जाते थे, और गरीबों और दलितों द्वारा उनकी वीरता और करुणा के कार्यों के लिए पूजनीय थे।
दुल्ला भट्टी की किंवदंती कहती है कि वह अक्सर अमीरों से चोरी करता था और गरीबों को देता था, और अपनी बुद्धि और चालाकी के लिए जाना जाता था। वह एक कुशल योद्धा भी था, और अक्सर आम लोगों के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए मुगल अधिकारियों के खिलाफ लड़ाई में अपने आदमियों का नेतृत्व करता था।
दुल्ला भट्टी को पंजाब में एक लोक नायक के रूप में याद किया जाता है, और अभी भी लोहड़ी के अवसर पर मनाया जाता है, जो इस क्षेत्र में एक लोकप्रिय त्योहार है। इस दिन, लोग पारंपरिक गीत गाते हैं और दुल्ला भट्टी और उनके वीरतापूर्ण कार्यों के सम्मान में नृत्य करते हैं।
कृष्णा द्वारा लोहिता का वध
हिंदू पौराणिक कथाओं में, भगवान कृष्ण को देवता विष्णु का अवतार माना जाता है और उन्हें एक सर्वोच्च व्यक्ति के रूप में पूजा जाता है। भगवान कृष्ण से जुड़ी कहानियों में से एक उनके द्वारा एक विचित्र और राक्षसी जीव लोहिता के वध की कहानी है।
पौराणिक कथा के अनुसार लोहिता एक बहुत ही विचित्र जीव था, जो कृष्ण के पूर्वजों के राज्य में रहता था। यह अत्यंत शक्तिशाली और भयावह कहा जाता था, और अक्सर राज्य के लोगों को आतंकित करता था, जिससे बहुत पीड़ा और दुख होता था।
कृष्ण, जो अपनी बहादुरी और वीरता के लिए जाने जाते थे, ने लोहिता के आतंक के शासन को समाप्त करने का फैसला किया। उसने जीव को एक भयंकर युद्ध में उलझा दिया, और एक लंबी और भीषण लड़ाई के बाद, वह उसे मारने में सक्षम था, जिससे राज्य के लोगों को उसके प्रकोप से बचाया जा सका।
लोहिता की हत्या को भगवान कृष्ण के लिए एक महान जीत के रूप में देखा जाता है, और हिंदू पौराणिक कथाओं में बहादुरी और वीरता के कार्य के रूप में याद किया जाता है और मनाया जाता है। इसे कृष्ण की दिव्य शक्ति और लोगों को नुकसान से बचाने और बचाव करने की उनकी क्षमता के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है।
लोहिता संहार को भी लोहड़ी पर्व से जोड़कर देखा जाता है।
लोहड़ी का लोक गीत g

सुंदर मुंदरिए तेरा कौन | Sundar Mundariye Lyrics
सुंदर मुंदरिए, हो,
तेरा कौन विचारा, हो,
दुल्ला भट्टी वाला, हो,
दुल्ले ने धी ब्याही, हो,
सेर शक्कर पाई, हो,
कुड़ी दा लाल पटाका, हो,
कुड़ी दा शालू पाटा, हो,
तेरा जीवे चाचा,
सानूं दे लोहड़ी,
तेरी जीवे जोड़ी।
पा नी माई पाथी,
तेरा पुत्त चढेगा हाथी,
ओते जौं तेरे पुत्त पोत्रे नौ,
नौंवां दी कमाई
तेरी झोली विच पाई,
टेर नी माँ, टेर नी,
लाल चरखा फेर नी,
बुड्ढी साँस लैंदी है,
उत्थों रात पैंदी है,
अन्दर बट्टे ना खड़काओं,
सान्नू दूरों ना डराओ,
चारक दाने खिल्लां दे,
पाथी लैके हिल्लांगे,
कोठे उत्ते मोर,
सान्नू पाथी देके तोर।
कुड़ी दा शालू पाटा, हो,
शालू कोण समेटे, हो,
चाचा गाली देसे, हो,
चाचे चूरी कुट्टी, हो,
जिमींदारां लुट्टी, हो,
जिमींदारा सदाए, हो,
गिण गिण पोले लाए, हो,
इक पोला घिस गया,
जिमींदार वोट्टी,
लै के नस्स गया, हो,
सानूं दे लोहड़ी,
तेरी जीवे जोड़ी।
कंडा कंडा नी, कंडा सी,
इस कंडे दे नाल कलीरा सी,
जुग जीवे नी भाबो तेरा वीरा नी,
पा माई पा,
काले कुत्ते नू वी पा,
काला कुत्ता दवे वदाइयाँ,
तेरियां जीवन मझियाँ गाईयाँ,
मझियाँ गाईयाँ दित्ता दुध,
तेरे जीवन सके पुत्त,
सक्के पुत्तां दी वदाई,
वोटी छम छम करदी आई।
What a folk song!
What a folk song..enjoyed it. Thanks