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रक्षा बंधन क्या है?
रक्षा बंधन Raksha Bandhan एक हिंदू त्योहार है जो भाइयों और बहनों के बीच बंधन का पवित्र पर्व है। इस दिन, बहनें अपने भाइयों की कलाई पर प्यार और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में एक पवित्र धागा बांधती हैं, जिसे राखी कहा जाता है। बदले में भाई अपनी बहनों की रक्षा और देखभाल करने का वचन देता है। आमतौर पर भारत और नेपाल में यह पर्व मनाया जाता है ।
राखी बांधते समय बहन का चेहरा पश्चिम दिशा में तथा भाई का चेहरा पूर्व दिशा में होना चाहिए।
राखी बांधते समय उपरोक्त मंत्र का उच्चारण काफी शुभ मन जाता है-
राखी का मंत्र- ‘येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:।
इस मंत्र का हिंदी अर्थ: दानवीर महाबली राजा बलि जिससे बांध गए थे, उसी से परमात्मा का बांधता हूं। हे रक्षे!(रक्षासूत्र) तुम चलयमान न हो, चलायमान न हो।
रक्षा बंधन 2023 का शुभ मुहूर्त
रक्षा बंधन शुभ मुहूर्त 30 अगस्त को सुबह 09 बजकर 28 मिनट से रात्री के 09 बजकर 14 मिनट तक रहेगा।
रक्षा बंधन पूजा विधि
रक्षा बंधन के लिए पूजा विधि में आमतौर पर निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:
बहन भगवान गणेश की पूजा करती है और अपने भाई के लिए उनका आशीर्वाद मांगती है। बहन, भाई की आरती उतारती है और भगवान गणेश से अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती है।
बहन फिर अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसके माथे पर तिलक (रोली या चंदन का) लगाती है।
भाई सुंदर उपहार देता है और बहन को उसकी रक्षा का वचन देता है।
रक्षा बंधन की पौराणिक कथा
भगवान श्री कृष्ण और द्रौपदी की कहानी
रक्षा बंधन त्योहार से जुड़ी सबसे प्रसिद्ध कहानियों में से एक भगवान कृष्ण और द्रौपदी की कहानी है।
महाभारत के अनुसार पांडवों की पत्नी द्रौपदी और भगवान श्रीकृष्ण का एक विशेष बंधन था।
शिशुपाल वध के समय जब सुदर्शन चक्र से श्री कृष्ण की उन्ली में चोट लगने पर दौपदी ने अपने दुपट्टे को फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली में बांधकर रक्त बहने से रोका था। वह समय भगवान कृष्ण ने द्रौपदी की जीवन भर रक्षा करने का वचन दिया था।
माना जाता है कि द्रौपदी का यह कार्य भाइयों और बहनों के बीच प्रेम और सुरक्षा के गहरे बंधन का प्रतीक है।
इस कहानी को अक्सर रक्षा बंधन के उत्सव के कारण के रूप में उद्धृत किया जाता है, क्योंकि यह भाई और बहन के बीच प्यार के बंधन को दर्शाती है, और अपनी बहन की रक्षा के लिए भाई के कर्तव्य के महत्व पर जोर देती है।
हुमायूँ और रानी कर्णावती की कहानी
रक्षाबंधन पर मुगल बादशाह हुमायूं से भी जुड़ी एक कहानी है।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार हुमायूँ को अपने ही राज्य से निर्वासित होना पड़ा था। उस दौरन उसको जंगलो में भटकना पड़ा। भटकते भटकते वह एक आश्रम में आए जहां उनकी मुलाकात रानी कर्णावती नाम की एक लड़की से हुई। वह राजस्थान, भारत में मेवाड़ राज्य की शासक थीं।
वह हुमायूँ से इतनी प्रभावित हुई कि उसने उसे राखी भेजी, और अपने भाई के रूप में उसे मदद दी।
हुमायूँ उसके सम्मान से खुश हुआ और उसके राज्य की रक्षा करने का वचन दिया। आखिरकार, जब रानी कर्णावती के राज्य पर हमला हो रहा था, हुमायूँ ने अपना वादा निभाया और उसकी सहायता के लिए आगे आया। उसने शत्रु को पराजित किया और उसे राज्य लौटा दिया।
यह कहानी भाई-बहन के बंधन के महत्व और राखी पर किए गए वादे को निभाने के महत्व पर प्रकाश डालती है। इसमें यह भी दिखाया गया है कि कैसे राखी का त्योहार सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसे दूसरे रिश्तों तक भी बढ़ाया जा सकता है।
रक्षा बंधन पर चुने राशि के अनुसार राखी का रंग, भाई के साथ रहेंगे मधुर संबंध
मेष राशि – लाल रंग की राखी
वृषभ राशि- नीला, बैगनी, सफेद
मिथुन राशि- हरा
कर्क राशि- सफेद
सिंह राशि- पीला
कन्या राशि- हरा
तुला राशि- गुलाबी
वृश्चिक राशी- लाल, मैरून
धनु राशि- पीला
मकर राशि- नीला
कुंभ राशि- गहरा हरा
मीन राशि- पीला