ॐ त्र्य॑म्बकं यजामहे सु॒गन्धिं॑ पुष्टि॒वर्ध॑नम् । उ॒र्वा॒रु॒कमि॑व॒ बन्ध॑नान् मृ॒त्योर्मु॑क्षीय॒ माऽमृता॑॑त् ।।

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महाशिवरात्रि क्या है? / Mahashivratri kya hai?
महाशिवरात्रि एक हिंदू त्योहार है जो हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक भगवान शिव के सम्मान में प्रतिवर्ष मनाया जाता है। यह एक गंभीर और पवित्र अवसर है जो दुनिया भर के हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है, और हिंदू धर्म के भीतर शैव धर्म परंपरा के अनुयायियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। त्योहार आमतौर पर उपवास, प्रार्थना और भगवान शिव को अनुष्ठान और समारोह की पेशकश करके मनाया जाता है। समस्त ब्रह्माण्ड जिन्की शक्ति से चल रहा है, वह देवो के देव भगवान शिव हैं। उनकी अलौकिक शक्ति चारण दिशाओ में फैली हुई है। हिन्दू धर्म में यह दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। यदि व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ पूर्ण विधि विधान से यह पूजा करता है तो उसके समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। तथा भगवान का आशीर्वाद उसे प्राप्त होता है। भक्तगण दिनभर व्रत रख अपनी श्रद्धा अनुसार शिवलिंग का अभिषेक करते हैं और मनवांछित वरदान प्राप्त करते हैं।
क्योंकि कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार शिव का प्राकट्य ज्योतिर्लिंग, अग्नि के शिवलिंग के रूप में हुआ था। शिवलिंग भिन्न भिन्न 64 स्थानो पर प्रकट हुए थे। तदन्तर में हम केवल 12 ज्योतिर्लिंगों को ही जानने में सक्षम हैं।
12 ज्योतिर्लिंग कौन से हैं?

12 ज्योतिर्लिंगों को हिंदू धर्म में विशेष रूप से पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है। ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं, और माना जाता है कि ये वे स्थान हैं जहाँ वे लिंगम के रूप में प्रकट हुए थे, जो एक बेलनाकार पत्थर या स्तंभ है जो शिव की दिव्य ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। 12 ज्योतिर्लिंग भारत के विभिन्न हिस्सों में फैले हुए हैं और इस प्रकार हैं:
- गुजरात में सोमनाथ मंदिर
- आंध्र प्रदेश में मल्लिकार्जुन मंदिर
- मध्य प्रदेश में महाकालेश्वर मंदिर
- मध्य प्रदेश में ओंकारेश्वर मंदिर
- उत्तराखंड में केदारनाथ मंदिर
- महाराष्ट्र में भीमाशंकर मंदिर
- विश्वनाथ मंदिर वाराणसी, उत्तर प्रदेश में
- महाराष्ट्र में त्र्यंबकेश्वर मंदिर
- झारखंड में बैद्यनाथ मंदिर
- गुजरात में नागेश्वर मंदिर
- तमिलनाडु में रामेश्वर मंदिर
- महाराष्ट्र में घृष्णेश्वर मंदिर
महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त और तिथि? Shubh Muhurt/Date
भगवान की आराधना करने के लिए फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का दिन सबसे महत्वपूर्ण है। इसे महा शिवरात्रि पर्व के रूप में मनया जाता है। वैसे तो प्रत्येक माह की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है, लेकिन मान्यता है कि फाल्गुन माह की शिवरात्रि के दिन भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था।
18 फरवरी दिन शनिवार फाल्गुन माह की चतुर्दशी तिथि 17 फरवरी की रात्री 08 बजकर 02 मिनट से शुरू होकर 18 फरवरी की शाम 04 बजकर 18 मिनट तक रहेगी।
मुहूर्त:
सर्वार्थ सिद्ध योग:
18 फरवरी शाम 05 बजकर 42 मिनट से 19 फरवरी सुबह 07 बजे तक।
निशिता काल:
18 फरवरी रात 11 बजकर 46 मिनट से सुबह 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगा।
शिव आराधना के लिए निशिता काल को बहुत ही शुभ माना जाता है।
पारण मुहूर्त:
19 फरवरी को सुबह 06 बजकर 57 मिनट से दोपहर 03 बजकर 33 मिनट तक।
महाशिवरात्रि व्रत का पालन कैसे करें? Vrat ka Paalan
महाशिवरात्रि के इस्स पावन पर्व पर भक्तिगान बहुत उत्साह से इस दिन उपवास रखते हैं। व्रत से एक दिन पूर्व ही व्यक्ति को पूर्ण सात्विक रहना चाहिए। अगले दिन सुबह काल स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर के मंदिर में शिव प्रतिमा पर धूप दीप अर्पण कर व्रत का संकल्प लें। पूर्ण सात्विकता का पालन करें। मन कर्म और वाणी से शुद्ध रहें। शुद्ध दिन “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें। शिव का जलाभिषेक करें तथा शाम को फलाहार करें।
अगले दिन सुबह काल स्नान कर ब्रह्मणो को दान दक्षिणा देकर शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें।
महाशिवरात्रि पूजा विधि? Mahashivratri Pooja Vidhi

महाशिव रात्रि के पर्व पर अपने आराध्य भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए उनकी पूजा पूर्ण विधि विधान और श्रद्धा विश्वास से करें। स्नानादि के उपरान्त शिव मंदिर जाए। पूजा के लिए एक लोटा ले, उसमें सबसे पहले थोड़ा गंगाजल ले फिर बाद में उसमें स्वच्छ जल भरेन। (ऐसा करने से लोटे का जल गंगाजल के समान हो जाएगा), उसमें कुछ अक्षत, रोली, शक्कर, कच्चा दूध, शाहद, घी डाले। पूरा लोटे का जल शिवलिंग पर चढ़ाये। जल चढ़ते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते रहें।फिर धतूरे का फूल, आकावा का फूल, 5 बेलपत्र, बेर, सफेद पुष्पा अर्पित करें। धूप दीप दिखाकर उनकी पूजा करें और भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करें।
महाशिवरात्रि व्रत का महत्व? Vrat ka Mahatva
महाशिवरात्रि का पूरे वर्ष भक्तो को इंतजार रहता है। शिव पुराण के अनुसार शिवरात्रि को व्रत करने से व्यक्तियों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। शिवपुराण में मोक्ष के 4 सनातन मार्ग बताते गए हैं, इनमें से शिवरात्रि व्रत को मुख्य माना गया है। यह सभी के लिए साधना का उत्तम साधन है। इसका सीधा अर्थ है यह है कि उपासना और व्रत करने से इंद्रियो तथा मन पर नियंत्रण रखने में सहयता मिलती है। शिव उपासना से आप अपनी कुंडली में चंद्र ग्रह को भी मजबूत कर सकते हैं, जिससे आप का मन स्थिर होता है। आपको चंद्र देव की सुभता भी प्राप्त होती है। इस दिन विधिवत तरिके से व्यक्ति अगर महा मृत्युंजय मंत्र का पाठ कर अभिषेक करता है तो उसे रोगो और कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस सु-अवसर पर शिव के मनोकामना सिद्धि उपाय करके आप मनवांछित फल की प्राप्ति भी कर सकते हैं।
महाशिवरात्रि व्रत में और व्रत के बाद क्या भोजन खायें?
महाशिवरात्रि व्रत के दौरान अनाज, दाल और फलियां खाने से परहेज करें। कुछ लोग पूरे व्रत के दौरान किसी भी प्रकार के भोजन का सेवन करने से भी परहेज कर सकते हैं। अन्य केवल फल और दुग्ध उत्पादों का सेवन कर सकते हैं। महाशिवरात्रि व्रत के दौरान खाए जाने वाले कुछ सामान्य खाद्य पदार्थों में शामिल हैं:
- फल: सेब, केला, नाशपाती, जामुन, नारियल और अन्य प्रकार के फल व्रत में खाए जा सकते हैं।
- दुग्ध उत्पाद: व्रत में दही, मक्खन, घी और दूध का सेवन किया जा सकता है।
- साबुदाना (tapioca pearls): इन्हें मैश किए हुए आलू, दही या मूंगफली के साथ भिगोकर खाया जा सकता है।
- कुट्टू का आटा (buckwheat flour): इसका उपयोग चपाती या पूरी बनाने के लिए किया जा सकता है, जिसे उबले हुए आलू या दही के साथ खाया जा सकता है।
- सिंघारे का आटा ( water chestnut flour ) इसे पूरी बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसे उबले हुए आलू या दही के साथ खाया जा सकता है।
- व्रत की चटनी: इन्हें भुने हुए जीरे, धनिया और सूखे अमचूर से बनाया जाता है और इन्हें पूरी या चपातियों के साथ खाया जा सकता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि महाशिवरात्रि व्रत के दौरान खाए जाने वाले विशिष्ट खाद्य पदार्थ क्षेत्रीय और व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।
Jai bhole …..very usefull information